नागदेवताको प्रेमलिला पढ्नुहोस, दिन राम्रो र नया जोश मिल्नेछ

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नागदेवताको प्रेमलिला पढ्नुहोस, दिन राम्रो र नया जोश मिल्नेछ

नागदेवताको प्रेमलिला पढ्नुहोस, दिन राम्रो र नया जोश मिल्नेछ


नागदेवता भनेको हिन्दु धर्ममा एकदम ठूलो मानिन्छ । फोटोमा देखाइएको नागदेवता एक जोडि नाग हुन जो प्रेम गर्छन । पौराणिक कथा अनुसार जोडि नागलाइ दर्सन गरेर सुत्यो भने एक नया जोश जागर मिल्नेछ । भोलिको दिन उज्ज्वल हुनेछ र तपाइको असफल भएका कामहरु सफल बन्दै जानेछन ।

तेसैले ढुक्क भएर फोटोमा देखाइएको नागदेवतालाइ सम्मान स्वरुप लाइक गर्नुहोला अनि शेयर गर्नुहोला। तओआइलाइ जिवनमा उर्जा मिल्न सक्छ । येस्तो कुरालाइ हेला गर्दा जीवन बेकार हुँदै जान पनि सक्छ ।

ब्रह्मा ने शेषनाग को यह भी कहा कि यह पृथ्वी निरंतर हिलती(डुलती रहती है, अतस् तुम इसे अपने फन पर इस प्रकार धारण करो कि यह स्थिर हो जाए। इस प्रकार शेषनाग ने संपूर्ण पृथ्वी को अपने फन पर धारण कर लिया। क्षीरसागर में भगवान विष्णु शेषनाग के आसन पर ही विराजित होते हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान श्रीराम के छोटे भाई लक्ष्मण व श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम शेषनाग के ही अवतार थे।

धर्म ग्रंथों में वासुकि को नागों का राजा बताया गया है। ये भी महर्षि कश्यप व कद्रू की संतान थे। इनकी पत्नी का नाम शतशीर्षा है।

इनकी बुद्धि भी भगवान भक्ति में लगी रहती है। जब माता कद्रू ने नागों को सर्प यज्ञ में भस्म होने का श्राप दिया तब नाग जाति को बचाने के लिए वासुकि बहुत चिंतित हुए। तब एलापत्र नामक नाग ने इन्हें बताया कि आपकी बहन जरत्कारु से उत्पन्न पुत्र ही सर्प यज्ञ रोक पाएगा।

जैसे ही ऋत्विजों ९यज्ञ करने वाले ब्राह्मण० ने तक्षक का नाम लेकर यज्ञ में आहुति डाली, तक्षक देवलोक से यज्ञ कुंड में गिरने लगा।

तभी आस्तीक ऋषि ने अपने मंत्रों से उन्हें आकाश में ही स्थिर कर दिया। उसी समय आस्तीक मुनि के कहने पर जनमेजय ने सर्प यज्ञ रोक दिया और तक्षक के प्राण बच गए। ग्रंथों के अनुसार तक्षक ही भगवान शिव के गले में लिपटा रहता

कर्कोटक शिव के एक गण हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार सर्पों की मां कद्रू ने जब नागों को सर्प यज्ञ में भस्म होने का श्राप दिया तब भयभीत होकर कंबल नाग ब्रह्माजी के लोक में, शंखचूड़ मणिपुर राज्य में, कालिया नाग यमुना में, धृतराष्ट्र नाग प्रयाग में, एलापत्र ब्रह्मलोक में और अन्य कुरुक्षेत्र में तप करने चले गए।

वह मणि शेषनाग के पास थी। उसकी रक्षा का भार उन्होंने धृतराष्ट्र नाग को सौंप था। ब्रभुवाहन ने जब धृतराष्ट्र से वह मणि मागी तो उसने देने से इंकार कर दिया। तब धृतराष्ट्र एवं ब्रभुवाहन के बीच भयंकर युद्ध हुआ और ब्रभुवाहन ने धृतराष्ट्र से वह मणि छीन ली। इस मणि के उपयोग से अर्जुन पुनर्जीवित हो गए।



शनिबार १६, चैत २०७५ ०७:४१ मा प्रकाशित

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